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Painting titled 'The Reckless Sleeper' by René Magritte (1898-1967) Courtesy: https://www.tate.org.uk/art/artworks/magritte-the-reckless-sleeper-t01122 |
शीर्षक विहीन
रात बनी है नींद की दुनिया में जागने के लिए
जहां हर कोई निश्चिंत बेख़बर होकर
अपने में ही मगन रहता है
कुछ हालाँकि कि सोते हुए से नज़र आते हैं
या फिर यूँ ही बड़बड़ाते हुए दिख जाते हैं
कभी बचपन की किसी क़िस्से को टटोलते हुए
या फिर यूँ ही बचाओ बचाओ चीख़ते हुए
उन मासूमों को यह ईल्म नही
कि नींद की दुनिया सोने के लिए नहीं बनी है
वहाँ जाया जाता है चाँद, तारों से गलबाहीं करने
और सुबह होने पर ऊँघती सोई हुई
मृतप्राय दुनिया में वापिस खर्राटे भरने
कुमार विक्रम
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