चंद्रयान
तुम्हें वहां पानी मिले न मिले
थोड़ी नमी ज़रूर लेते आना
चाँदनी से भेंट हो न हो
थोड़ी शीतलता ज़रूर ले आना
चाँद पागल सा दिखे न दिखे
थोड़ी दीवानगी ज़रूर ले आना
वहां कोई धब्बा दिखे न दिखे
पृथ्वी के कुछ धब्बे छोड़ आना
वहां से शायद ही कोई आये हमें भुलावा देने
तुम इस समय की विस्मृतियाँ वहीं छोड़ आना
चाँद स्वयं अन्धकार में डूब प्रतिबिंबित रौशनी में है चमकता
यह देख तुम कुछ गरूर वहीँ छोड़ आना
---कुमार विक्रम
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