कविता की विदाई
मैं ख़राब से भी खराबतम कविता लिखना चाहता हूँ
पूरी कविता तो यूँ भी कभी किसी को पसंद आई हो
अगर कुछ शब्द, कुछ बिंब, कही कोई भाव
कभी किसी को बरबस ठीक लग गए हों
आज ही उन्हें वापिस लेता हूँ
कूड़ेदान में उन्हें घुमाकर फेंकता हूँ
कविताओं व बिम्बों का बेहतर होना
ख़राब बदसूरत समय की निशानी है
मैं चमकदार बिम्बों के गफ़लत भरी दुनिया से निकल
भीड़ में छुपे मनुष्य से हाथ मिलाना चाहता हूँ
जहाँ अच्छी असरदार मार्मिक कविता
हमेशा के लिए विदा ले ले।
-कुमार विक्रम
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