सर्वदलीय बैठक
माहौल दरअसल बिलकुल वैसा ही था
जैसा किसी महान व्यक्ति की मृत्यु पर आयोजित
सर्वधर्म शोक-सभा का होता है
अपने-अपने धर्म की सुपरिचित पोशाकों में
सिर्फ अपने धर्म के श्लोकों
अथवा आयतों का पाठ करते हुए
कुछ इस भावना के साथ
कि सभी धर्म मूलतः एक से हैं
उस परमात्मा तक पहुचने तक
बस अलग अलग पथ हैं
ठीक उसी तरह जैसे देश का विकास
सबों का एक मात्र उद्देश्य है
वहीं बैठक के बाहर हर दल के भक्त
धर्मों के बीच की असमानताओं को
बढ़ चढ़ कर बांच रहे थे
जो अंदर बैठे दलों के प्रतिनिधियों ने ही
उन्हें कक्षा कार्य के रूप में दिए थे
जैसा किसी महान व्यक्ति की मृत्यु पर आयोजित
सर्वधर्म शोक-सभा का होता है
अपने-अपने धर्म की सुपरिचित पोशाकों में
सिर्फ अपने धर्म के श्लोकों
अथवा आयतों का पाठ करते हुए
कुछ इस भावना के साथ
कि सभी धर्म मूलतः एक से हैं
उस परमात्मा तक पहुचने तक
बस अलग अलग पथ हैं
ठीक उसी तरह जैसे देश का विकास
सबों का एक मात्र उद्देश्य है
वहीं बैठक के बाहर हर दल के भक्त
धर्मों के बीच की असमानताओं को
बढ़ चढ़ कर बांच रहे थे
जो अंदर बैठे दलों के प्रतिनिधियों ने ही
उन्हें कक्षा कार्य के रूप में दिए थे
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