नयी प्रार्थनाएं
पक्षियों की तरह उड़ना नहीं
मछलियों की तरह तैरना नहीं
चीते की तरह तेज दौड़ना नहीं
हाथी की तरह बलशाली नहीं
कुत्ते की तरह वफ़ादार नहीं
गधे की तरह खटना नहीं
महापुरुषों की तरह अजर-अमर होना नहीं
इंसानों को अब अपने सपने
कुछ और बड़े, कुछ और वृहत बुनने होंगे
अपनी प्रार्थनांएँ कुछ और विकट गढ़ने होंगे
जैसे इन्सानी खून को रिसते देख
उसे टपकने से पहले
रोक देने की संवेदना और उबाल की दरकार
बीमार का हाल-चाल पूछने का सलीक़ा
बूढ़े-बुजूर्ग को सड़क पार कराने की कला
बच्चे को कंधे पर बिठा
दुनियाँ की सैर कराने का विज्ञान
झूठ को झूठ
और सत्य को सत्य
कहने की हिम्मत और ज़रूरत।
कुमार विक्रम
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